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बहुभागीय पुस्तकें >> युद्ध - भाग 2

युद्ध - भाग 2

नरेन्द्र कोहली

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :280
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 2901
आईएसबीएन :81-8143-197-9

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रामकथा पर आधारित श्रेष्ठ उपन्यास....

तेइस

 

रावण को मेघनाद के वध का समाचार दिया गया।

रावण को लगा कि जाने क्यों उसके मस्तिष्क में फेन-बुदबुद उठ रहे हैं। चिंतन शक्ति जैसे जड़ हो गई है। कभी-कभी तो जैसे श्वास भी रुकता मालूम पड़ता था। कानों में अनवरत एक सनसनाहट-सी चल रही थी और आंखों के सम्मुख हल्के और भारी परदे झूल रहे थे। किंतु इनके ऊपर प्रतिरावण का एक दीर्घ अट्टहास गूंज रहा था...

बड़ी देर तक रावण इसी प्रकार भाव-शून्य-सा बैठा रहा। कुछ भी अनुभव करने में असमर्थ। शनैः शनैः उसे लगा कि फेन बैठती जा रही है, मस्तिष्क कुछ जीवित हो उठा है और तब उसे अनुभूति हुई कि उसने क्या खोया है...मेघनाद मारा गया था, युवराज इंद्रजित मेघनाद। शोक से कहीं अधिक रावण को आश्चर्य हो रहा था-यह कैसे संभव है? मेघनाद कैसे मर सकता है? उसे कौन मार सकता है? ...पहले दिन वह युद्ध में गया तो वानर सेना के काल के समान लड़ा : राम और लक्ष्मण का वध कर आया। जाने कैसे मायावी हैं वे लोग-पुनः जीवित हो उठे। दूसरी बार गया तो ब्रह्मास्त्र से न केवल राम और लक्ष्मण-प्रायः सभी वानर सेनापतियों को हताहत कर आया। ...और आज तो वह अभी युद्ध में गया ही नहीं था। वह तो निकुंभिला देवी के मन्दिर में यज्ञ कर रहा था...वह मायावी लक्ष्मण वहां पहुंच गया ...विभीषण जैसा भ्रातृ-द्रोही साथ हो तो लक्ष्मण कहां नहीं पहुंच सकता। ...लंका का राज्य पाने के लिए विभीषण लोभ-मद में मत्त हो रहा है, नहीं तो वह इतना निर्मम हो जाता? वह अपने की बंधु-बांधवों को मार रहा है, जैसे क्षुधार्त नाग अपने ही बच्चों को खा जाता है...

पर विभीषण का परिवार भी सुरक्षित नहीं रहेगा।-क्रोध के मारे, रावण के लिए मंच पर बैठे रहना असंभव हो गया-जब सरमा और कला के वध का समाचार पहुंचेगा उस दुष्ट के पास, तभी तो उसे ज्ञात होगा कि परिवार की पीड़ा क्या होती है...संतान के वध से पिता के मन की क्या दशा होती है...

किंतु तभी प्रभात के पूर्व दिए गए समाचारों में से एक, उसके मस्तिष्क के अंधकार में सौदामिनी के समान कौंधने लगा...समस्त प्रबंधों और प्रहरियों के रहते हुए भी कला और सरमा अपने प्रासाद में से लुप्त हो गई थीं...तो विभीषण पहले से ही इस बात को समझता था और उसका प्रबंध उसने कर लिया था।

रावण ने ताली बजाई। द्वारपाल उपस्थित हुआ।

"महोदर से कहो कि सरमा और कला की खोज की जाए और उनके मिलते ही उनका वध कर दिया जाए।"

द्वारपाल के जाते ही रावण का ध्यान लक्ष्मण की ओर गया...लक्ष्मण ने उस समय मेघनाद का वध किया, जब उसके पास ब्रह्मास्त्र नहीं था। निःशस्त्र का वध। इन दुष्टों को भी समाप्त करना ही पड़ेगा...। और जिसके लिए ये लोग युद्ध कर रहे हैं, उस सीता को भी...। यदि राम, लक्ष्मण और विभीषण सफल हो जाएं, यदि रावण का वध भी हो जाए-तो भी ये लोग विजय का सुख न पाएं। लंका में आएं तो उन्हें सीता का शव मिले, या वह भी न मिले।

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    अनुक्रम

  1. एक
  2. दो
  3. तीन
  4. चार
  5. पांच
  6. छह
  7. सात
  8. आठ
  9. नौ
  10. दस
  11. ग्यारह
  12. तेरह
  13. चौदह
  14. पन्ह्रह
  15. सोलह
  16. सत्रह
  17. अठारह
  18. उन्नीस
  19. बीस
  20. इक्कीस
  21. बाईस
  22. तेईस
  23. चौबीस

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